• तेज प्रताप यादव ने रघुवंश बाबू की नाराजगी पर कहा, समुद्र से एक लोटा पानी निकल जाने से क्या फर्क पड़ेगा

 

  • ओपिनियनः प्रणय प्रियंवद

आरजेडी के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह मानने को तैयार नहीं हैं। पहले तो उनकी नाराजगी रामा सिंह की पार्टी में इंट्री को लेकर थी और तेजस्वी यादव ने रामा सिंह की इंट्री रोक दी। तब तक रघुवंश बाबू उपाध्यक्ष का पद छोड़ चुके थे। रामा सिंह की इंट्री भी ऐसे समय में की जा रही थी जब रघुवंश बाबू कोरोना की जंग अस्पताल में लड़ रहे थे। अस्पताल के बेड से ही उन्होंने तेवर दिखाए तो आरजेडी थम गई। फैसला रोक लिया गया। अब एक बार फिर चर्चा यह है कि रघुवंश प्रसाद सिंह जेडीयू या बीजेपी में जा सकते हैं। ज्यादा उम्मीद की जा रही है कि वे जेडीयू में जाएंगे। खबर है कि उन्हें मनाने की कोशिश तेजस्वी यादव ने की और वे मान नहीं रहे हैं। इधर तेजप्रताप यादव ने बयान दे दिया कि आरजेडी तो समुद्र है इसमें से एक लोटा पानी निकल जाएगा तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा। तेजप्रताप यादव का ऐसा बयान सुनने वाले हर किसी ने कहा- अहंकार देखिए लड़कों का।

सवाल यह है कि रघुवंश प्रसाद सिंह नाराज क्यों हैं? गौर कीजिए तो आप पाएंगे कि जब से जगदानंद सिंह को जेडीयू का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है तब से उनकी नाराजगी बढ़ती चली गई। जगदानंद सिंह ने पार्टी कार्यालय में कार्यकर्ताओं से मिलने के लिए पर्ची सिस्टम बनाया तो उसकी तुलना रघुवंश बाबू ने डीएम ऑफिस से कर दी। दरअसल जब लालू प्रसाद एक्टिव थे तब वे पार्टी के अंदर ही एक नेता की काट के लिए एक दूसरा नेता भी रखते थे। जगदानंद सिंह और रघुवंश प्रसाद सिंह ऐसे ही नेता थे। दोनों शान बान वाले। अनुशासन प्रिय। लेकिन रघुवंश प्रसाद सिंह को पार्टी के कार्यकर्ता ज्यादा पसंद करते रहे। कारण यह कि रघु, लालू स्टाइल में बयान देने वाले अक्खड़ किस्म के नेता हैं। मन में ढ़ेर रखते नहीं हैं। जगदानंद सिंह बहुत कल्कुलेटिव हैं। सोच समझ कर बोलते हैं। दोनों नेताओं के शब्दों के चयन में भी आपको फर्क दिखेगा। रघुवंश बाबू के पास देहाती शब्द खूब सारे हैं। वे मुहावरे से बात बोलने वाल उस्ताद हैं। जो लोगों को कनेक्ट करता है। जगदा बाबू के पास संभ्रात दिखने वाले शब्द हैं। अब जब कोरोना की भयावहता के बीच चुनाव आयोग चुनाव कराने पर डटा है तो बहुत संभव है कि पार्टी के अंदर टिकट बंटवारे में रघुवंश बाबू की कोई पूछ नहीं हो रही हो। ऐसे यह हर कोई मानता है कि आरजडी में लालू प्रसाद के आगे किसी और की नहीं चलती है।  लालू प्रसाद के बीमार होने के बाद जगदानंद सिंह से तेजस्वी यादव की नजदीकी बढ़ गई है।

सब को पता है कि रघु बाबू को पहले ही इग्नोर करते हुए अन्य अनाम किस्म के लोगों को राज्य सभा भेज दिया गया था। रघु बाबू की नाराजगी के कारण कई हो सकते हैं पर बड़ा कारण जगदानंद सिंह और रघुवंश प्रसाद सिंह के बीच की राजनीतिक खींचतान हो सकती है।

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