संवाददाता. पटना.
पूर्व सांसद शिवानंद तिवारी ने कहा कि रफेल से जुड़ी प्रतिक्रिया जिस तरह से आ रही है वह आश्चर्यजनक है। इसके आने की प्रक्रिया तो वर्षों से चल रहा थी। प्रधानमंत्री संस्कृत में उसका स्वागत करते हैं। मीडिया के लोग ऐसे प्रचार करते हैं कि चीन इससे सदमें में आ गया है। अर्धमूर्छित हो गया है। हमारा हजारों वर्ष पुराना देश है और यह देश ऐसा व्यवहार करे ठीक नहीं। लगता है देश बूढ़ा हो गया है। जिस रफेल के कारण सरकार कगघरे में खड़ी है। इस सौदा का निर्णय 2001 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी सरकार के समय का है। वायु सेना की जरुरत के अनुसार इसे लाने की प्रक्रिया की शुरुआत हुई। इसके बाद मनमोहन सिंह की सरकार में जो खबर आई तब लगा समझौता हो गया। इसके बाद मोदी जी की सरकार बन गई। इनके फ्रांस दौरा के बाद पता नहीं क्या हुआ। 126 से सौदा 136 पर आ गया। अनिल अंबानी की कंपनी को रफेल का कुछ हिस्सा या कुछ पार्ट बनाने का ठेका मिल गया। उस समय लोगों ने सवाल उठाया था कि यह ठेका उसे कैसे मिल गया। यह रक्षा से जुड़ा मामला है। रक्षा से जुड़ी कमिटी के बिना अनुमोदन के 136 का सौदा किया गया, उससे नुकसान हुआ। डील हुआ टेक्नोलाजी ट्रांसफर का। ऐसा ही होता तो बहुत सारे लोगों को, टेक्नीशियन को काम मिलता, मंदी से निकलने का मौका देश को मिलता। शिवानंद तिवारी ने कहा कि आज की स्थिति यह है कि यह सब सवाल कीजिएगा तो कहा जाएगा देशद्रोही हैं। सच यह है कि प्रधानमंत्री कबूल नहीं कर पा रहे हैं कि चीन भारत की सीमा में घुसा हुआ है। रफेल का हम स्वागत करते हैं, पर हम संतुष्ट नहीं हैं। नेहरू ने चीन के हमले के समय कुछ छिपाया नहीं था। शिवानंद ने कहा कि कितना भी सामरिक शक्ति बढ़ा लीजिए पर देश के अंदर ताकत नहीं बटोरिएगा, पूरा देश एकजुट होकर किसी भी कुर्बानी के लिए तैयार नहीं होगा तब तक किसी भी देश को सुरक्षित नहीं रखा जा सकता।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You missed