• इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है

संवाददाता.

यूपी के हाथरस में एक दलित युवती के साथ हुए दुष्कर्म के मामले से देश भर में गुस्स है। दिल्ली से लेकर देश के छोटे शहरों में भी कैंडिल मार्च, प्रदर्शन आदि हो रहे हैं। इस बीच इलाहाबाद हाइकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने मामले पर खुद संज्ञान लेते हुए यूपी सरकार और हाथरस के अधिकारियों को नोटिस जारी करके पूछा है कि आखिर रातों रात पीड़ित का अंतिम संस्कार क्यों किया गया। सरकार को 12 अक्टूबर को होने वाली सुनवाई में जवाब देना होगा।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की लखनऊ पीठ ने गुरुवार को यह आदेश जारी किया। कोर्ट ने कहा कि पीड़ित की 29 सितम्बर को मौत के बाद हाथरस के जिला एवं पुलिस प्रशासन द्वारा किया गया कथित बर्ताव बहुत दर्दनाक है। कोर्ट ने कहा कि पीड़ित और उसके परिवार के साथ किया गया बर्ताव संविधान के अनुच्छेद 25 का खुल्लम-खुल्ला उल्लंघन है, क्योंकि मृतक का अंतिम संस्कार उसके धर्म व रीति के अनुसार होना चाहिए। परिवार को इसका हक है।

कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित करने पर कहा कि यदि वह अगली सुनवाई पर विवेचना में प्रगति से संतुष्ट नहीं हुआ तो वह मामले की अन्य एजेंसी से जांच करा सकता है। कोर्ट ने पीड़ित के परिजन को भी अगली तारीख पर बुलाया है और हाथरस प्रशासन को इसके लिए उनकी हर प्रकार से सहायता करने को कहा है। कोर्ट ने चेतावनी दी है कि पीड़ित के परिवार को किसी प्रकार की धमकी न दी जाए।

हाईकोर्ट ने मीडिया से कहा है कि घटना से जुड़े उनके पास जो भी मैटीरियल है उसे पेन ड्राइव या सीडी में उसे दाखिल करें। अपने आदेश में कोर्ट ने कहा कि गरीबों व दबे कुचले लोगो के मूलभूत संविधानिक अधिकारों की रक्षा करना उसका कार्य है। कोर्ट ने कहा कि वह देखेगा कि कहीं पीड़ित की गरीबी या सामाजिक स्तर के कारण तो उसके साथ सरकारी मशीनरी ने यह अत्याचार तो नहीं किया।

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