• यह देखना दिलचस्प होगा कि मांझी  के जरिए चिराग को कितना नियंत्रित कर पाते हैं नीतीश कुमार

संवाददाता.
बिहार के पूर्व सीएम जीतन राम मांझी और हिंदुस्तान आवाम मोर्चा (HAM) के अध्‍यक्ष जीतन राम मांझी का राजनीतिक रास्ता सीमित होता जा रहा है। एक विधायक और एक पार्षद वाली पार्टी इसमें लगी है कि कैसे दबाव की राजनीति करके पार्टी को ताकतवर बनाया जाए । इसमें नया कुछ नहीं है। ज्यादातर पार्टियां ऐसा करती हैं।

बड़ी बात यह कि नीतीश कुमार, मांझी के जरिए  रामविलास पासवान या चिराग पासवान को मजा तो नहीं चखाना चाहते? नीतीश कुमार, ने जो दांव उपेन्द्र कुशावाह के साथ खेला वही चिराग के साथ तो नहीं खेलेंगे? हालांकि यह इतना आसान नहीं होगा। वजह यह कि चिराग पासवान की पीठ पर बीजेपी का दमदार हाथ माना जा रहा है।

पता चला है कि जीतन राम मांझी खुद के लिए विधान परिषद की सीट मांग रहे हैं। वे और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की थी। इसमें उन्होंने खुद के लिए विधान परिषद की एक सीट मांगी थी।

उनकी पार्टी 3 सितंबर को एनडीए में शामिल होंगी। जीतन राम मांझी को महागठबंधन से अलग हुए लगभग दो सप्ताह होने वाला है। इस बीच मांझी ने जेडीयू प्रमुख और सीएम नीतीश कुमार से मुलाकात की है, लेकिन अभी तक एनडीए में उनके शामिल होने की केवल अटकले लगीं। तस्वीर साफ नहीं हो सकी है। हालांकि, मांझी की पार्टी से ओर से दावा किया गया है कि 3 सितंबर को बहुत कुछ सियासी तस्वीर साफ हो सकेगी।

जानकारी मिल रही है कि विधान परिषद की एक सीट को लेकर बात चल रही है। बताया जा रहा है कि मांझी 9 विधानसभा और एक विधान परिषद की सीट चाहते हैं। जदयू विधानसभा की 9 सीट देने को तैयार है, लेकिन विधान परिषद की एक सीट को लेकर मामला फंसा हुआ है। इस मामले पर बात बनते ही मांझी कल फिर से NDA का हिस्सा बनेंगे।

 

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