• महामारी फैलने का डर हमेशा बना रहता है
  • प्रधानाचार्य भी डेंगू की शिकार हो चुकी हैं
  • करबिगहिया पुल के पास काली मंदिर से सटा है स्कूल

सरकारी स्कूलों में सुधार, शिक्षा में सुधार के दावे हैं एक तरफ और पटना में करबिगहिया पुल के पास पांच स्कूलों के कैंपस में हाल यह है कि मेन गेट से लेकर पूरे कैंपस में  नाला और बारिश का पानी जमा है। लगभग 300 बच्चे यहां पढ़ते है। अभी कोरोना की वजह से शिक्षक ही यहां आ रहे हैं। यही विभाग का निर्दश  है। नया भवन बना हैै पर यह भी अधूरा है। बाल मध्य विद्यालय करबिगहिया, अंचल गोलघर का भवन जर्जर है। इसे खरतनाक घोषित किया जा चुका है।  अब यह इसी कैंपस के कन्या मध्य विद्यालय की नई बिल्डिंग में शिफ्ट है। यह बिल्डिंग भी अधूरी है। छत है तो इसमें सीढ़ी पर रेलिंग तक नहीं है। कभी भी बच्चेे गिर सकते हैं।  यहां कुल पांच स्कूल चल रहे हैं। सबसे खराब हालत यह कि स्कूल के मेन गेट पर ही पानी जमा है।

आप सोचिए कि पटना में शिक्षा विभाग के अफसर क्या करते हैं कि यह स्थिति है। कैंपस में नाला का पानी भी आ रहा है, बारिश का तो जमा हो ही रहा है। जल निकासी का कोई इंतजाम नहीं। शौचालय जानेे के रास्ते में भी गंदा पानी जमा है। इऩ पांच स्कूलों में बच्चियों के भी स्कूल हैं। कई महिला शिक्षिकाएं भी यहां पदस्थापित हैं। सभी को खतरा है कि कब कोई महामारी न फैल जाए। दो-तीन शिक्षकों को डेंगू हो भी चुका है। प्रधानाचार्य प्रमिला कुमारी ने बताया कि उन्होंने डीपीओ और नगर निगम को लिख कर दिया है। लेकिन स्थिति जो देख रहे हैं वही है।

स्कूल का जायजा प्रणय प्रियंवद ने लिया। आप यू ट्यूब पर इसे देख सकते हैं-

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