जब हम प्रकृति की रक्षा करेंगे तभी प्रकृति भी हमारी रक्षा करेगी

भारतीय संस्कृति में प्रकृति से कभी टकराव की स्थिति नहीं

संवाददाता.
जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत 1093 सतही सिंचाई व जल संचयन योजनाओं के उद्घाटन के मौके पर उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि ‘प्रकृतिः रक्षति रक्षिता’ यानी जब हम प्रकृति की रक्षा करेंगे तभी प्रकृति भी हमारी रक्षा करेगी। भारत की संस्कृति में प्रकृति से कभी टकराव की स्थिति नहीं रही है। हमारे यहां तो वृक्ष से लेकर नदी, पहाड़, पशु-पक्षियों तक की पूजा की परम्परा रही हैं। रत्नगर्भा, अन्नपूर्णा पृथ्वी को हमने मां का दर्जा दिया है।
मोदी ने कहा कि विकास का मतलब केवल सड़क, बिजली, बड़े भवनों का निर्माण ही नहीं हैं, देश में बिहार की ही अकेली ऐसी सरकार है, जिसने शराबबंदी, बाल-विवाह, तिलक-दहेज निषेध, जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत पौधारोपण, मृदा व जल संरक्षण जैसे अभियान को चलाया है। विकास का मतलब पर्यावरण का विनाश नहीं है। दोनों में सामंजस्य बैठा कर प्रकृति का संरक्षण व विकास को गति दी जा सकती हैं।
आज बिहार कोरोना संक्रमण व बाढ़ दोनों से जूझ रहा है। अगर बाढ़ का कारण अतिवृष्टि है तो मनुष्य व पशु-पक्षियों में द्वंद्व का नतीजा कोरोना जैसी संक्रामक महामारी हैं। आज अत्यधिक भू-जल के दोहण के कारण ही देश के बड़े हिस्से में जल संकट की स्थिति है। वर्षापात में अनियमितता की वजह से सूखे की स्थिति पैदा होती है। प्रकृति में जो असंतुलन पैदा हुई है, उसके लिए हम सब जिम्मेवार है।
उन्होंने कहा कि सभी बड़े तालाबों के किनारे वन विभाग व छोटे तालाबों के किनारे मनरेगा द्वारा पौधारोपण किया जाएगा। तालाबों का रख-रखाव स्थानीय लोगांे की समिति के जिम्मे दी जाएगी।

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