संवाददाता.
बिहार सरकार द्वारा आयोजित शिलान्यास व उद्घाटन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि 2016-17 से लेकर वर्ष 2020-21 को भी अगर इसमें शामिल कर लिया जाए तो इन पांच वर्षों में राज्य सरकार ने अपने बजट से पुल-पुलिया, सड़क, भवन, ऊर्जा व सिंचाई संरचनाओं के निर्माण पर 1,54,594 करोड़ पूंजीगत परिव्यय किया है। केवल भवन निर्माण विभाग के द्वारा ही पिछले पांच वर्षों (2016-17 से 2020-21तक) भवनों के निर्माण पर 15,293 करोड़ रु. खर्च किया गया है। राजद-कांग्रेस की सरकार द्वारा 2003 में बंद किए जाने वाले 23 निगमों की सूची में बिहार राज्य पुलिस भवन निर्माण निगम भी शामिल था, जिसे एनडीए की सरकार ने 2007 में पुनर्जीवित किया। मोदी ने कहा कि इसी प्रकार भवन निर्माण की तरह शिक्षा व स्वास्थ्य विभाग के भवनों के निर्माण के लिए भी अगल-अलग निगमों का गठन किया गया। मृतप्रायः हो चुके बिहार राज्य पथ परिवहन निगम को पुनर्जीवित किया गया। राजद-कांग्रेस की सरकार ने जहां निगमों को बीमार कर बंद करने की पहल की, वहीं एनडीए की सरकार ने उसे पुनर्जीवित करने के साथ ही नए निगमों का भी गठन किया।
उन्होंने कहा कि बिहार में बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य जारी रहने का ही नतीजा रहा कि वर्ष 2018-19 में यहां बाहर से 14,741.29 करोड़ का आयरन एंड स्टील, 9,935.79 करोड़ के इलेक्ट्रिकल सामान, 6,025.29 करोड़ के सीमेंट व 13.60 हजार करोड़ के दोपहिया, तिपहिया व चारपहिया वाहन बिकने के लिए आए। 2019-20 में वाणिज्य कर विभाग को सीमेंट से सर्वाधिक 1476.03 करोड़, आयरन एंड स्टील से 861.90 करोड़, दोपहिया, तिपहिया वाहनो व ऑटोमोबिल से 1,500 करोड़ तथा बिजली के सामनों की बिक्री से 689.77 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ था। जहां 2019-20 के पहले 4 महीनों में 4 लाख 68 हजार वाहनों का निबंधन हुआ था, वहीं लाॅकडाउन व कोविड-19 की वजह से 2020-21 की इसी अवधि में मात्र 1 लाख 72 हजार यानी 63.2 प्रतिशत कम वाहनों के निबंधन होने से पिछले साल की शुरुआत के 4 महीने में 773.09 करोड़ की तुलना में इस साल के चार महीने में 382.5 करोड़ यानी 51 प्रतिशत कम राजस्व का संग्रह हो

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