संवाददाता.
6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराए जाने के मामले में आज सीबीआई कोर्ट ने 28 साल बाद फैसला सुनाया। इसमें 32 लोगों को आरोप मुक्त कर दिया गया है। कोर्ट ने ये भी कमेंट किया है कि अयोध्या में जो ढांचा गिराया गया वह पूर्व नियोजित नहीं था। इसमें लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भरती, विनय कटियार, साध्वी ऋतंभरा, महंत नृत्य गोपाल दास, डॉ. रामविलास वेदांती, चेपत राय, महंत धर्मदास, सतीश प्रधान, पवन कुमार पांडेय, लल्लू सिंह, प्रकाश शर्मा, विजय बहादुर सिंह, संतोष दुबे, गांधी यादव, रामजी गुप्ता, ब्रज भूषण शरण सिंह, कमलेश त्रिपाठी, रामचंद्र खत्री, जय भगवान गोयल, ओम प्रकाश पांडेय, अमरनथ गोयल, जयभान सिंह पवैया, साक्षी महाराज, विनय कुमार राय, नवीन भाई शुक्ला, आरएन श्रीवास्तव, आचार्य धर्मेन्द्र देव, सुधीर कुमार कक्कड़, धर्मेन्द्र सिंह गुर्जर।
खाास बातें
– अराजक तत्वों ने मौके का फायदा उठाकर इसको गिराया था, पत्थरबाजी की थी।
– विश्व हिंदू परिषद और संघ का मस्जिद गिराने का कोई इरादा नहीं था ।
-जो फोटो और वीडियो बतौर साक्ष्य सीबीआई ने कोर्ट में पेश किया था वह प्रमाणिक नहीं।
– कोर्ट ने माना कि आडवाणी, उमा भारती, मुरली मनोहर जोशी, विनय कटियार सहित इन राजनेताओं ने भीड़ को समझाने की कोशिश की थी न कि भीड़ को भड़काया था।
– अदालत ने कहा कि 6 दिसंबर 1992 को जो हुआ वह अचानक हुआ। कुछ भी षड्यंत्र या पूर्व नियोजित नहीं था। जो भी फोटो, वीडियो बतौर साक्ष्य पेश किया गया वह पर्याप्त नहीं थे।
-. सीबीआई कोर्ट के जज एसके यादव ने 28 साल पुराने केस पर फैसला सुनाते हुए कहा कि बाबरी मस्जिद को गिराने की घटना पूर्व नियोजित नहीं थी।
– कोर्ट ने ये भी कहा कि इन 32 लोगों ने तो भीड़ से बार बार अपील भी की थी कि मस्जिद को न गिराया जाए। लेकिन जो हुआ वह आकस्मात हुआ।
– बाबरी मस्जिद ममाले के पक्षकार इकबाल अंसारी ने कहा कि वो अब इस मामले को और तूल नहीं देना चाहते।
-. साक्ष्य के अभाव में सभी आरोपियों को माननीय कोर्ट ने बरी कर दिया।
इस फैसले पर लाल कृष्ण आडवाणी ने कहा कि आज हम सबके लिए खुशी का दिन है। आज जो कोर्ट का फैसला आया वह अत्यंत महत्वपूर्ण है। मुरली मनोहर जोशी ने कह कि साबित हो गया कि 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में कोई साजिश नहीं हुई थी।