संवाददाता. पटना
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जीवन पर लिखी किताब का आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद ने लोकार्पण किया। सम्राट अशोक कन्वेंशन सेंटर में इसका लोकार्पण किया गया। किताब राजकमल प्रशासन से प्रकाशित है। इस दौरान उन्होंने बीजेपी और केंद्र सरकार पर निशाना साधा। बड़ी बात यह कि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेत्री सुभाषिणी अली ने मंच से किताब में लिखी कई बातों का खंडन किया और कहा कि बहुत सारे पूर्वाग्रहों से ग्रस्त होकर किताब लिखी है नीतीश कुमार के मित्र उदयकांत ने।
हम एकजुट होकर देश को बचाएंगे- लालू प्रसाद
इस अवसर पर लालू प्रसाद ने कहा कि भारत का संविधान खतरे में है। महाराष्ट्र में राजनीतिक उलटफेर पर कहा कि शरद पवार की पार्टी को तोड़ा गया है। हमने सुना है कि सब चर्चा कर रहे हैं कि बिहार के सांसदों को तोड़ो, सांसदों को निकालो। बिहार कहां हिलता-डुलता है, हम बिहार को हिलने नहीं देंगे। बिहार नहीं हिलेगा, लेकिन बिहार से बीजेपी का सफाया होना तय है। बिहार उड़ती चिड़िया को हल्दी लगाता है। वे लोग राम और रहीम के बीच नफरत की दीवार खड़ी कर रहे हैं। हमारे देश के लोकतंत्र को तोड़ रहे हैं। संविधान पर हमला कर रहे हैं। हम लोग एकजुट होकर देश को बचाएंगे।
सुभाषिणी अली ने क्या-क्या कहा
भाकपा नेत्री सुभाषिनी अली ने किताब पर बोलते हुए लेखक उदय कांत की खूब आलोचना की। उन्होंने कहा कि आप नीतीश कुमार के दोस्त हैं और बहुत पूर्वाग्रह से ग्रस्त हैं। कम्युनिस्टों के बारे में भी आपने न जाने क्या क्या कह दिया है। मेरी मुलाकात नीतीश कुमार से 35 साल से नहीं हुई है। एक घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि आपने जो कहानी लिखी है वह पूरी तरह से सही नहीं है। लेकिन यह नीतीश कुमार और हमारे बीच का राज है। वह मैं किसी और को नहीं बताऊंगी। उन्होंने कहा कि आपने राजनीतिक विश्लेषण पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर किया है। भाकपा जेपी आंदोलन में जेपी को छोड़कर नहीं गई थी। न ही कम्युनिस्टों ने कोई माफी मांगी। माफी मांगने वाले लोग कोई और हैं।
उन्होंने कहा कि नागार्जुन ने संपूर्ण क्रांति को खिचड़ी क्रांति कहा था। कहा कि लालू प्रसाद का विश्लेषण भी लेखक उदय कांत ने पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर किया है। लालू प्रसाद के जुनून, उनकी दरियादिली पर आपने ईमानदारी से नहीं लिखा है। आरएसएस के प्रति भी किताब में आपने बहुत नरमी दिखाई है।
सुभाषिनी अली ने कहा कि लालू प्रसाद और नीतीश कुमार को सभी तरह की नाराजगी भूल जाने का समय है और दोनों को एकजुट होकर राजनीति करने का समय है। दोनों ने मुझे भाई माना और अब दोनों एक हैं।
सुभाषिनी अली ने बिहार शरीफ में मदरसा अजीजिया में किताबों के जलाए जाने का जिक्र किया और कहा कि बिहार में दो बार किताबें जलाई गई एक बार अभी और एक बार 500 साल पहले। किताबों को बचाया जाना चाहिए। किताबें जलाने वाले को सबक सिखानी चाहिए। उन्होंने कहा कि बिहार और उत्तर प्रदेश मिल जाए तो किसी भी तरह का राजनीतिक मुकाबला जीत सकता है।