संवाददाता. पटना
भाजपा ने नीतीश कुमार को कम सीटों के बावजूद सीएम का पद दिया लेकिन इतना परेशान किया कि उसका घड़ा भर गया। नीतीश कुमार ने मंगलवार के दिन राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया और पहुंच गए राबड़ी आवास की बैठक में। पहले तो विधान सभा चुुनाव में चिराग पासवान के जरिए जदयू को काफी नुकसान पहुुंचाया गया और उसके बाद आरसीपी सिंह के जरिए उनकी पार्टी को तोड़ने की तैयारी थी। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह के शब्दों में कहें तो इसे नीतीश कुमार ने समझ लिया और समय पर सर्जरी कर नाव के छेद को ठीक कर दिया। नाव डुबाने की तैयारी असफल हो गई।
राबड़ी आवास पहुंचने से पहले नीतीश कुमार ने भाजपा का साथ भी छोड़ दिया। राबड़ी देवी के आवास में पहले से महागठबंधन की बैठक चल रही थी, उस बैठक को उन्होंने संबोधित किया। इसके बाद महागठबंधन के नेताओँ ने राजभवन जाकर राज्यपाल फागू चौहान को 7 पार्टियों के 164 विधायकों के समर्थन की चिट्ठी सौंप दी और सरकार बनने का दावा कर दिया। जीतन राम मांझी की पार्टी हम भी नीतीश के साथ आ गई। हम के पास चार विधायक हैं।
इसी के साथ बिहार में भाजपा और जदयू का 2020 में बना गठबंधन टूट गया। इस्तीफा सौंपने के बाद नीतीश ने राजभवन में कहा था कि पार्टी के विधायकों और सांसदों ने एक स्वर में एनडीए से गठबंधन तोड़ने की बात कही है। तेजस्वी यादव ने कहा कि भाजपा का कोई गठबंधन सहयोगी नहीं है। इतिहास बताता है कि भाजपा उन दलों को खत्म कर देती है जिनके साथ वह गठबंधन करती है। हमने देखा कि पंजाब और महाराष्ट्र में क्या हुआ था।
भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि नीतीश कुमार नीतीश कुमार ने हमें धोखा दिया है। उन्होंने नीतीश कुमार से सवाल किया कि 2020 में नीतीश भाजपा के साथ क्यों थे। इसके बाद 2017 में भी वे साथ आए। 2019 में लोकसभा और 2020 में विधानसभा चुनाव भी मिलकर लड़ा। अब ऐसा क्या हुआ जो हम खराब हो गए?