-सीआईएसएफ की इंटरनल रिपोर्ट बताती है कि फायरिंग की शुरुआत पुलिस ने की थी

संवाददाता
16 तारीख को दुर्गा प्रतिमा विसर्जन को लेकर मुंगेर में  लाठीचार्ज और पुलिस फायरिंग हुई थी। इसमें कई युवाओँ को गोली लगने और एक युवक के मारे जाने के बाद हंगमा हो गया था लेकिन  मुंगेर में चुनाव तक चुप्पी पसरी हुई थी। कई मोहल्ले के कई लोगों ने वोट नहीं किया।

यह चुप्पी बवाल के पहले की चुप्पी थी। चुनाव के दूसरे ही दिन 29 तारीख को हजारों लोगों की भीड़ सड़क पर उतरी और पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। लोगों ने मुंगेर में अपन गु्स्सा दिखाया। मुंगेर एसपी लिपि सिंह के कार्यालय में तोड़ फोड़ की।

वासुदेवपुर पुलिस चौकी में आग लगा दी गई। कागजात जला दिए। छह वाहनों को आग के हवाले कर दिया। पुलिस का काफी विरोध हुआ। पुलिस बल के जवान इधर-उधर छिपते रहे। कांग्रेस और राजद लगतार घटना की आलोचना कर रही है। दोनों पार्टियों ने घटन की तुलना जलियावला बाग कांड से की। कांग्रेस के महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने कह कि नीतीश कुमार और सुशील मोदी को सत्त में रहने काा कोई हक नहीं है। डीआईजी मनु महाराज को स्थिति नियंत्रित करने के लिए उतरनाा पड़ा।

स्थिति अनियंत्रित होती देख भारत निर्वाचन आयोग ने मुंगेर के डीएम राजेश मीणा और एसपी लिपि सिंह को हटा दिया। इनकी जगह रचना पाटिल को मुंगेर का डीेएम और मानवजीत सिंह ढिल्लो को एसपी बनाया गया। दोनों को हेलीकॉप्टर से मुंगेर भेजा गया।

इस मामले में सीआईएसएफ की इंटरनल रिपोरट के अनुसार फायरिंग की शुरुआत मुंगेर पुलिस ने की थी। हालांकि पुलिस पहले से कह रही है कि उपद्रवियों की ओर से फायरिंग की गई जसमें एक युवक की जान चली गई है। रिपोर्ट में है कि सीआईएसएफ के हेड कांस्टेबल एम गंगैया ने अपनी रायफल से 13 गोलियां हवा में फायर कीं। इसी से भीड़ उग्र तीतर बितर हुई।

मुंगेर की घटना का जिम्मेवार कौन है इसकी पड़ताल चुनाव आयोग ने मगध के डिविजनल कमिश्नर असंगबा चुबा को दी गई है।

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