मीडिया की हालत बदतर, कब किस पत्रकार पर तलवार गिर जाएगी कहना मुश्किल
संवाददाता.
आरजेडी के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद शिवानंद तिवारी ने रविवार को पटना से निकलनेवाले अखबारों को उठाया और उसका पोस्टमार्टम किया। शिवानंद तिवारी ने बिहार के चौथा खंभा पर सवाल दागा। कहा कि 1983 में तत्कालीन मुख्यमंत्री जगन्नथ मिश्र ने प्रेस का गल दबाने के लिए प्रेस विधेयक लाया था। इसके लागू होने से मीडिया की आजादी नहीं रह जाती। उस समय हड़ताली मोड़ पर बड़ा जुलूस हम सबों ने निकाला था। उस जुलूस में नीतीश कुमार भी थे। सभी पर सरकार ने लाठी चार्ज करवाया गया। भगदड़ मच गई। गिरफ्तार किए गए और फुलवारी जेल में हम सब बंद किए गए। हम सबों ने तय किया कि हम जमानत नहीं लेंगे। हम सब डेढ माह जेल में रहे। दशहरा भी जेल में गुजरा। उन्होंने कहा कि एक जमाना था जब नीतीश कुमार प्रेस की आजादी क लिए जेल गए। अभी का समय है कि बिहार के अखबार सत्ता पार्टी की ओर से हमला कर रहा हैं।
उन्होंने कहा कि राम मनोहर लोहिया कहते थे कि सत्ताधारी नेता का मुंह नहीं, काम बोलता है। जेडीयू या एनडीए ने काम किया है तो 15 साल के लालू-राबड़ी शासन की याद क्यों दिला रहे हैं? क्यों अखबारों का मुंह बंद करके रखा है। विज्ञापन क्यों बंद कर दिया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि एक तरफ जहां सत्ता पक्ष की ओर से कई नेताओं का बयान छापा जा रहा है वहीं विपक्ष की ओर से दिए गए बयानों की आत्मा निकाली जा रही है। अखबारों के संपादक और पत्रकार तो नौकरी करते हैं,उन्हें क्या कहा जाए। टेलीग्राफ जैसा अखबार पटना में बंद हो गया। कई पत्रकारों को निकाला जा रहा है। पत्रकारों की बहुत बुरी हालत है। कब किस पर तलवार गिर जाएगी कहना मुश्किल है। शिवानंद तिवारी ने सवाल किया कि नीतीश को डर क्यों है? शासन के पहले चार साल के बीद सरकार का चरित्र बदल गया है। सुशासन का क्या मतलब है? भ्रष्टाचार की एक से एक कहानी सामने आ रही है।
उन्होंने कोरोना पीड़ित नरेन्द्र बर्णवाल के उस बयान की चर्चा की जिसमें उन्होंने मौत से लाइव में बताया था कि वार्ड में कुत्ते घूमते हैं पर डॉक्टर नहीं आते। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल को आड़े हाथों लिया और पूछा कि आपके इलाके की हालत इतनी बदतर क्यों है? बेतिया के प्रखंड अध्यक्ष कन्हैया गुप्ता की मौत का सवाल भी उन्होंन उठाया। उन्होंने हाजीपुर एसडीओ की सराहना की कि वह एनएमसीएच में भर्ती हुईं। साथ ही यह भी बताया कि जब एनएमसीएच में इलाज ठीक से नहीं हुआ तो एम्स चली गईँ। शिवानंद तिवारी ने कहा कि हालत बहुत खराब है नीतीश जी। उन्होंने लोहिया को फिर से याद किया और कहा कि लोहिया कहा करते थे सत्ता को तवा की रोटी की तरह उलटते-पलटते रहना चाहिए।
एक तरफा हो गया है।