- जदयू पर से भाजपा का दबाव घटेगा
- एनडीए में 127 विधायकों और महागठबंधन में 115 विधायकों का संख्या बल, सरकार बनाने के लिए 122 की जरुरत
संवाददाता. पटना.
असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM के 5 में से 4 विधायकों ने बुधवार को ओवैसी का दामन छोड़ लालू-तेजस्वी का दामन थाम लिया। राजद में शामिल हो गए। अब 243 विधानसभा सीट वाली बिहार विधानसभा में 80 सीटों के साथ राजद बिहार की सबसे बड़ी पार्टी बन गई है। भाजपा से सबसे बड़ी पार्टी का ताज छिन गया। कुछ माह पहले भाजपा ने मुकेश सहनी की पार्टी के तीन विधायकों को तोड़ राजद से यह ताज छीना था। राजद ने AIMIM को पांच विधायकों में अख्तरुल ईमान को छोड़ चार को अपनी तरफ कर भाजपा को राजनीतिक मजा चखा दिया।
अब 77 सीटों के साथ भाजपा दूसरे नंबर की पार्टी है। AIMIM के टिकट पर 2020 विधानसभा चुनाव में अमौर से अख्तरुल इमान, बायसी से सैयद रुकनुद्दीन अहमद, कोचाधामन से मो. इजहार असफी, जोकीहाट से शाहनवाज आलम और बहादुरगंज से मो. अंजार नईमी ने जीत हासिल की थी। तब ओबैसी की पार्टी ने बड़ी धमक बिहार में दिखाई थी और राजद के माई समीकरण को सीमांचल में तोड़ा था। राजद का दामन थामने के बाद ये चारों विधायक राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद से मिलने पहुंचे।
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा कि भाजपा के पास हिम्मत नहीं है कि वह बिहार में अकेले चुनाव लड़ सके। इसलिए तीसरे नंबर की पार्टी के नेता को मुख्यमंत्री बनायी हुई है। अब हम सत्ता से ज्यादा दूर नहीं हैं। हालांकि हमें सत्ता का लालच नहीं हैं।राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि सत्ता का लालच तो भाजपा और जदयू को है। वे एक दूसरे को अपमानित कर रहे हैं और इसके बावजूद सत्ता में साझीदार बने हुए हैं। लालच की वजह से उनका गठबंधन है।
तेजस्वी ने कहा कि सभी अपनी मर्जी से धर्म निरपेक्षता को मजबूत करने राजद में आए हैं। यह उनका निडर फैसला है। सही मायने में इन सब का राजद में आना घर वापसी जैसा है। राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि अब हम विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी बन गए हैं। इससे पार्टी की ताकत में जबर्दस्त इजाफा होगा। राजद अब विधानसभा में सबसे बड़ी है।
AIMIM के चारों विधायकों ने कहा कि बंगाल और यूपी चुनाव के परिणाम को देखते हुए हमने फैसला लिया कि बिहार में जो सेक्यूलर पार्टी है उसके हाथों को अब मजबूत करेंगे। इसलिए राजद का दामन हमलोगों ने थामा है। इससे राजद और मजबूत होगा और नया बिहार बनेगा। राजद के सबसे बड़ी पार्टी बनने से भाजपा का जदयू पर दबाव घटेगा। सरकार किसी भी तरह से गड़बड़ाती है, गिरती है तो अब राज्यपाल को सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर राजद को ही आमंत्रित करना पड़ेगा।
बता दें कि बिहार में सरकार बनाने के लिए 122 विधायकों का समर्थन चाहिए। अभी एनडीए के पास 127 विधायक हैं। भाजपा के पास 77 और जदयू के पास 45 विधायक को मिलाकर ही 122 विधायक हैं। मांझी की पार्टी हम के 4 विधायक और एक निर्दलीय विधायक का समर्थन भी नीतीश सरकार को है।
दूसरी तरफ राजद के पास बोचहां उपचुनाव में जीत के बाद विधायकों की संख्या 76 हो गई थी। AIMIM के चार विधायकों के राजद में आ जाने के बाद यह संख्या बढ़कर 80 पर पहुंच गई है। हालांकि राजद के विधायक अनंत सिंह को 10 साल की सजा के बाद उनकी विधायकी खतरे में है। उनकी विधायकी जाने के बाद भी राजद ही सबसे बड़ी पार्टी रहेगी।
आंकड़ों में समझिए बिहार विधान सभा का गणित
एनडीए
भाजपा- 77
जदयू- 45
निर्दलीय- 1
कुल संख्या- 127
महागठबंधन
राजद- 80
कांग्रेस-19
लेफ्ट पार्टी- 16
कुल- 115
फोटो कैप्शन- अब यह तस्वीर बदल गई है।