संवाददाता.
वीआरएस लेने के बाद जदयू में शामिल हुए गुप्तेश्वर पांडेय को इस बार चुनाव में उतरने के टिकट ही नहीं दिया गया। चर्चा थी कि बक्सर विधान सभा या वाल्मीकिनगर लोकसभा से गुप्तेश्वर पांडेय चुनाव लड़ सकते हैं।
1987 बैच के आईपीएस अफसर गुप्तेश्वर पाण्डेय ने इससे पहले भी चुनाव लड़ने की कोशिश की थी। 2009 में आईजी रहते हुए भी उन्होंने वीआरएस लिया था। बताया जाता है कि वह बक्सर से लोकसभा का चुनाव लड़ना चाहते थे पर टिकट नहीं मिला। बाद में उन्होंने वीआरएस वापस ले लिया। दूसरी बार चुनावी राजनीति में उतरने के लिए उन्होंने डीजीपी का पद छोड़ दिया। नीतीश कुमार ने उन्हें जेडीयू की सदस्यता दिलाई। उनके बक्सर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की अटकलें काफी दिनों से थी पर मामला उस वक्त फंस गया जब सीट जदयू कोटे की बजाय बीजेपी के खाते में चली गई। इसके बाद चर्चा यह होने लगी कि गुप्तेश्वर पांडेय भाजपा के प्रत्याशी हो सकते हैं पर बुधवार को उम्मीदवार की घोषणा के साथ यह उम्मीद भी टूट गई।
गुप्तेश्वर पांडेय ने बुधवारा को अपने फेसबुक पेज पर लिखा है कि अनेक शुभचिंतकों के फ़ोन से परेशान हूं। मैं उनकी चिंता और परेशानी भी समझता हूं। मेरे सेवामुक्त होने के बाद सबको उम्मीद थी कि मैं चुनाव लड़ूंगा, लेकिन मैं इस बार विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ रहा। हताश निराश होने की कोई बात नहीं है, धीरज रखें। मेरा जीवन संघर्ष में ही बीता है। मैं जीवन भर जनता की सेवा में रहूँगा। कृपया धीरज रखें और मुझे फ़ोन नहीं करे। बिहार की जनता को मेरा जीवन समर्पित है। अपनी जन्मभूमि बक्सर की धरती और वहां के सभी जाति मज़हब के सभी बड़े-छोटे भाई-बहनों माताओं और नौजवानों को मेरा पैर छू कर प्रणाम! अपना प्यार और आशीर्वाद बनाए रखें ।