- 25 साल पहले, 3 जुलाई, 1995 का है जब पटना के सरकारी आवास में जनता दल के नेता और सारण जिला के मसरख विधानसभा क्षेत्र के विधायक अशोक सिंह की दिनदहाड़े बम से नृशंस हत्या कर दी गयी थी
- 1995 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में जनता दल के नेता अशोक सिंह ने तब के आरजेडी के उम्मीदवार प्रभुनाथ सिंह को मसरख विधानसभा क्षेत्र से चुनाव में हरा दिया था
संवाददाता.
झारखंड हाइकोर्ट के फैसले से बिहार के बाहुबली सांसद और आरजेडी नेता रहे प्रभुनाथ सिंह को शुक्रवार को बड़ा झटका लगा है। जस्टिस अमिताभ कुमार गुप्ता और जस्टिस राजेश कुमार ने प्रभुनाथ सिंह और उनके भाई दीनानाथ सिंह को निचली अदालत से मिली उम्रकैद की सजा में किसी तरह की छूट देने से इनकार करते हुए याचिका खारिज कर दी। हां, प्रभुनाथ के भतीजे रितेश सिंह को साक्ष्य के अभाव में कोर्ट ने आरोपों से बरी कर दिया है।
यह मामला 25 साल पहले, 3 जुलाई, 1995 का है जब पटना के सरकारी आवास में जनता दल के नेता और सारण जिला के मसरख विधानसभा क्षेत्र के विधायक अशोक सिंह की दिनदहाड़े बम से नृशंस हत्या कर दी गयी थी। इस मामले में प्रभुनाथ सिंह, उनके भाई दीनानाथ सिंह और रीतेश सिंह को आरोपी बनाया गया था। 18 मई, 2017 को हजारीबाग सेशन कोर्ट ने तीनों अभियुक्तों को आइपीसी की धारा 302, 307, 324, 120बी और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के तहत दोषी करार दिया।
इस मामले में न्यायाधीश सुरेंद्र शर्मा ने तीनों आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाते हुए 40-40 हजार रुपये का अर्थदंड भी दिया था। हजारीबाग की अदालत को प्रभुनाथ सिंह और उनके भाई ने झारखंड हाइकोर्ट में चुनौती दी थी। केस की सुनवाई करते हुए हाइकोर्ट ने यह फैसला दिया है। झारखंड हाइकोर्ट ने शुक्रवार को निचली अदालत के उस फैसले को सही ठहराया है, जिसमें पूर्व सांसद और उनके भाई को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी।
बता दें कि साल 1995 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में जनता दल के नेता अशोक सिंह ने तब के आरजेडी के उम्मीदवार प्रभुनाथ सिंह को मसरख विधानसभा क्षेत्र से चुनाव में हरा दिया था। कहा जाता है कि तब तनातनी तेज हुई और प्रभुनाथ सिंह ने डेडलाइन तय कर दी थी कि तीन महीने के अंदर अशोक सिंह को अंजाम भुगतना होगा। विधायक बनने के ठीक 90वें दिन जब तत्कालीन विधायक अशोक सिंह राजधानी पटना स्थित अपने आवास पर आने वाले लोगों से मिल रहे थे तभी बम मारकर दिनदहाड़े उन्हें मौत दे दी गई। अशोक सिंह की पत्नी चांदनी देवी ने पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह, उनके भाई दीनानाथ सिंह और रितेश सिंह पर गर्दनीबाग थाना में नामजद प्राथमिकी दर्ज कराई। दूसरी तरफ प्रभुनाथ सिंह इस हत्या में हाथ होने से इंकार करते रहे, लेकिन कोर्ट ने एक बार फिर अपना फैसला सुना दिया है और निचली अदालत के फैसले को कायम रखा है। उन्होंन कोर्ट के ताजा फैसले के बाद कह कि राजनीतिक विद्वेष के तहत उन्हें फंसाया गया है।
सज सुनाए जाने के बाद अशोक सिंह की पत्नी चांदनी देवी ने कहा है कि मेरे पति के हत्यारों को फांस की सजा मिलती तो मेर कलेजे को ठंडक मिलती।