प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में देश में बाढ़ की स्थिति एवं बाढ़ प्रबंधन के लिए वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित समीक्षा बैठक में शामिल हुए मुख्यमंत्री

बिहार के काेसी-मेची नदी काे राष्ट्रीय नदी जाेड़ाे परियाेजना के अंतर्गत शामिल किया जाय

संवाददाता.
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में 6 राज्यों के मुख्यमंत्रियाें के साथ देश में बाढ़ की स्थिति एवं बाढ़ प्रबंधन के लिए वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से समीक्षा बैठक हुई।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने संबाेधन में कहा कि बाढ़ की स्थिति की समीक्षा के लिए इस बैठक के आयोजन के लिए प्रधानमंत्री जी काे धन्यवाद देता हूं। वर्ष 2017 में बाढ़ की स्थिति की समीक्षा के लिए बिहार में प्रधानमंत्री जी का आगमन हुआ था और उस दौरान भी पूर्णिया में बाढ़ के संबंध में प्रधानमंत्री जी के साथ विस्तृत चर्चा हुई थी। उत्तर बिहार बाढ़ से अभी पूरी तरह प्रभावित है। राज्य में सितंबर माह तक बाढ़ की आशंका बनी हुई रहती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अभी राज्य के 16 जिलाें के 125 प्रखंडाें के 2232 पंचायताें की 74 लाख 20 हजार से ज्यादा की जनसंख्या बाढ़ से प्रभावित है। राहत और बचाव के लिए सभी जरुरी कदम उठाये जा रहे हैं। एन0डी0आर0एफ0 की 23 और एस0डी0आर0एफ0 की 17 टीमें लगातार काम कर रही हैं। 5 लाख 8 हजार लोगाें काे निष्क्रमित किया गया है। उन्हाेंने कहा कि 29 राहत शिविराें में 27 हजार लोग आवासित हैं। सामुदायिक रसाेई केंद्र भी चलाए जा रहे हैं, जिसकी व्यवस्थाओं का मैंने खुद जाकर जायजा लिया है। राहत शिविराें में रह रहे लोगाें के बीच साेशल डिस्टेंसिंग का पालन कराया जा रहा है और उनकी काेराेना संक्रमण की जांच भी करायी जा रही है। 1267 सामुदायिक रसाेई केंद्राें पर प्रतिदिन साढ़े 9 लाख से अधिक लोग भाेजन कर रहे हैं। उनकी भी काेराेना संक्रमण की जांच करायी जा रही है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्राें का मैंने एरियल सर्वे किया है और अधिकारियों काे आवश्यक दिशा-निर्देश दिए हैं। भविष्य में भी बाढ़ की आशंका बनी हुई है, उससे निपटने के लिए जरुरी तैयारी करने काे कहा गया है। सभी विभाग पूरी तरह से अलर्ट हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नेपाल में ज्यादा वर्षापात के कारण उत्तर बिहार बाढ़ से प्रभावित हाेता है। भारत नेपाल समझौते के आधार पर बिहार का जल संसाधन विभाग सीमावर्ती इलाके में बाढ़ प्रबंधन का कार्य करता है। हाल के वर्षो में नेपाल सरकार द्वारा पूरा सहयाेग नहीं किया जा रहा है। वर्ष 2008 में काेसी त्रासदी के समय भी बांध टूटने से बिहार पूरी तरह प्रभावित हुआ था।
इस वर्ष भी मधेपुरा जिले में पहले से बने हुए बांध की मरम्मती और मधुबनी में नाे मैन्स लैंड में बने बांध की मरम्मती कार्य में नेपाल सरकार द्वारा सहयाेग नहीं किया गया। बिहार के संबंधित अधिकारियों ने नेपाल के अधिकारियों से बातचीत कर समाधान की काेशिश की लेकिन उन्हाेंने सहयोग नहीं दिया। जाे मरम्मती कार्य मई के मध्य माह तक पूरा हाे जाना चाहिए था उसे जून के अंत तक ठीक कराया गया। हमलाेगाें ने अपनी सीमा क्षेत्र में बांध मजबूती का कार्य किया है।
इस स्थिति पर गौर करने की जरुरत है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमलाेग बाढ़ प्रभावित प्रत्येक परिवाराें काे 6 हजार रुपए की ग्रैचुट्स रिलीफ की राशि पहले से देते आ रहे हैं जिसमें 3 हजार रुपये अनाज और 3 हजार रुपये कपड़े और अन्य जरुरताें की पूर्ति के लिए देते हैं। वर्ष 2017 में 2385 कराेड़ 42 लाख और वर्ष 2019 में 2003 कराेड़ 55 लाख की ग्रैचुट्स रिलीफ के रुप में राशि लाेगाें के बीच वितरित कीगई है। इस वर्ष अब तक 6 लाख 31 हजार 295 बाढ़ प्रभावित परिवाराें के खाते में ग्रैचुट्स रिलीफ की 378 कराेड़ 77 लाख की राशि अंतरित कर दी गई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 15 वें वित्त आयाेग के द्वारा वर्ष 2020-21 के लिए स्टेट डिजास्टर रिस्क मैनेजमेंट फंड के लिए 1880 कराेड़ रूपये का प्रावधान किया गया है। इसमें 20 प्रतिशत स्टेट डिजास्टर मिटीगेशन फंड का प्रावधान है एवं 80 प्रतिशत स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फंड में विभक्त किया गया है। इसके संबंध में अभी पूरी स्पष्टता नहीं है। इस स्टेट डिजास्टर मिटीगेशन फंड काे अलग करने की जरुरत नहीं है। उन्हाेंने कहा कि स्टेट डिजास्टर रिस्क फंड में 75 प्रतिशत केंद्र का और 25 प्रतिशत राज्य की राशि का प्रावधान किया गया है। ग्रैचुट्स रिलीफ पर एक बार में 25 प्रतिशत राशि खर्च करने की अधिसीमा निधा र्रित की गई है। इसे भी समाप्त किया जाना चाहिए। इससे प्राकृतिक आपदाओ के कारण प्रति वर्ष राज्य सरकार के खजाने पर पड़ने वाले आर्थिक बाेझ काे काफी कम किया जा सकेगा। हमलाेगाें काे ग्रैचुट्स रिलीफ में काफी खर्च करना पड़ता है। उन्हाेंने कहा कि बाढ़ प्रभाविताें काे ग्रैचुट्स रिलीफ की राशि देने के साथ-साथ राज्य सरकार बांधाें की मरम्मती एवं अन्य कार्यो के लिए खर्च करती है। किसानाें काे भी राहत दी जाती है। उन्हाेंने कहा कि वर्ष 2018 में भी रिलीफ फंड काे लेकर प्रधानमंत्री जी से चर्चा हुई थी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गंगा नदी के कारण भी वर्ष 2016 में 13 जिले बाढ़ से प्रभावित हुए थे। फरक्का बराज से जल निकासी में अब ज्यादा समय लग जाता है, जिससे गंगा नदी का पानी ज्यादा दिनाें तक ज्यादा क्षेत्रों में फैला रहता है। इस पर भी विचार करने की जरुरत है। भारत एवं बंगलादेश के बीच गंगा नदी काे लेकर किये गये समझौते के अनुसार फरक्का बराज पर गंगा नदी का जलश्राव 1500 क्यूमेक सुनिश्चित करना पड़ता है जबकि गंगा नदी से बिहार में मात्र 400 क्यूमेक जल प्राप्त हाेता है। शेष 1100 क्यूमेक जल गंगा नदी में बिहार के क्षेत्र से जाता है। इस प्रकार बिहार में गंगा नदी का जल हाेते हुए भी राज्य इसका उपयोग नहीं कर पाता है। उन्हाेंने कहा कि राष्ट्रीय नदी जाेड़ाे परियोजना के लिए 2 लाख हेक्टेयर का क्षेत्र लाभांवित हाेने का दायरा निधार्रित किया गया है। इसके तहत बिहार के काेसी-मेची नदी काे राष्ट्रीय नदी जाेड़ाे परियाेजना के अंतर्गत शामिल किया जाये, क्योंकि इससे 2 लाख 14 हजार हेक्टेयर क्षेत्र लाभांवित हाेगा। उन्हाेंने कहा कि नदी जाेड़ने से बाढ़ की संभावना कम हाेगी और पानी का लाेग ज्यादा उपयोग कर सकेंगे। नदियों काे जाेड़ने से बाढ़ नियंत्रण में भी सहूलियत हाेगी। उन्हाेंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा बाढ़ की स्थिति में एन0डी0आर0एफ0 की टीम तत्काल उपलब्ध करायी जाती है। हेलीकॉप्टर भी उपलब्ध कराये जाते हैं जिससे राहत पैकेट एवं अनाज वितरण में काफी सहूलियत हाेती है, क्योंकि कभी कभी ज्यादा बाढ़ की स्थिति में नाव के माध्यम से राहत सामग्री पहुंचाना संभव नहीं हाे पाता है। उन्हाेंने कहा कि अन्य जरुरी सहायता भी केंद्र के द्वारा दी जाती रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि एक तरफ हम सभी काेराेना जैसी आपदा से बचाव काे लेकर लगातार कार्य कर रहे हैं ताे दूसरी तरफ बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा से भी निपटने के लिए कार्य
कर रहे हैं। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में काेराेना संक्रमण की जांच पर विशेष जाेर दिया जा रहा है।

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