– भारत सरकार ने नई शिक्षा नीति को दी मंजूरी

-मानव संसाधन मंत्रालय का नया नाम शिक्षा मंत्रालय

संवाददाता.
नरेन्द्र मोदी सरकार ने देश में नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी है। बुधवार को कैबिनेट की बैठक में इस पर फैसला हुआ। कैबिनेट बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके दी। उन्होंने बताया कि 34 साल बाद भारत की नई शिक्षा नीति आई है। इसमें स्कूल-कॉलेज की व्यवस्था में बड़े बदलाव किए गए हैं।
प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में नई शिक्षा नीति को मंजूरी दी गई है। उन्होंने कहा कि सरकार ने शिक्षा नीति को लेकर दो समितियां बनाई थीं। एक टीएसआर सुब्रमण्यम समिति और दूसरी डॉ. के कस्तूरीरंगन समिति।
उन्होंने बताया कि नई शिक्षा नीति के लिए बड़े स्तर पर सलाह ली गई। 2.5 लाख ग्राम पंचायतों, 6600 ब्लॉक्स, 676 जिलों से सलाह ली गई। बताया गया कि नई शिक्षा नीति के तहत कोई छात्र एक कोर्स के बीच में अगर कोई दूसरा कोर्स करना चाहे तो पहले कोर्स से सीमित समय के लिए ब्रेक लेकर कर सकता है। सरकार की ओर से बताया गया कि आज की व्यवस्था में चार साल इंजीनियरिंग पढ़ने के बाद या छह सेमेस्टर पढ़ने के बाद अगर कोई छात्र आगे नहीं पढ़ सकता है तो उसके पास कोई उपाय नहीं है। छात्र आउट ऑफ द सिस्टम हो जाता है। नए नियम में यह रहेगा कि एक साल के बाद सर्टिफिकेट, दो साल के बाद डिप्लोमा, तीन या चार साल के बाद डिग्री मिल सकेगी।
बताया गया कि मल्टीपल एंट्री थ्रू बैंक ऑफ क्रेडिट के तहत छात्र के फर्स्ट, सेकंड ईयर के क्रेडिट डिजीलॉकर के माध्यम से क्रेडिट रहेंगे, जिससे कि अगर छात्र को किसी कारण ब्रेक लेना है और एक फिक्स्ड टाइम के अंतर्गत वह वापस आता है तो उसे फर्स्ट और सेकंड ईयर रिपीट करने को नहीं कहा जाएगा। छात्र के क्रेडिट एकेडमिक क्रेडिट बैंक में मौजूद रहेंगे। ऐसे में छात्र उसका इस्तेमाल अपनी आगे की पढ़ाई के लिए कर सकेंगे।
बताया गया है कि मौजूदा शिक्षा नीति के तहत फिजिक्स ऑनर्स के साथ केमिस्ट्री, मैथ्स लिया जा सकता है। अब तक इसके साथ फैशन डिजाइनिंग नहीं ली जा सकती थी, लेकिन नई नीति में मेजर और माइनर की व्यवस्था होगी। जो मेजर प्रोग्राम हैं उसके अलावा माइनर प्रोग्राम भी लिए जा सकते हैं। इसके दो बड़े फायदे होंगे। आर्थिक या अन्य कारण से जो लोग ड्रॉप आउट हो जाते हैं वे वापस सिस्टम में आ सकते हैं। इसके अलावा जो अलग-अलग विषयों में रूचि रखते हैं, जैसे जो म्यूजिक में रूचि रखते हैं, लेकिन उसके लिए कोई व्यवस्था नहीं रहती है। नई शिक्षा नीति में मेजर और माइनर के माध्यम से ये व्यवस्था रहेगी।
एचआरडी मंत्रालय का नया नाम शिक्षा मंत्रालय
मानव संसाधन मंत्रालय को फिर से शिक्षा मंत्रालय के नाम से जाना जाएगा। पहले इस मंत्रालय का नाम शिक्षा मंत्रालय ही था. साल 1985 में इसे बदलकर मानव संसाधन मंत्रालय नाम दिया गया था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You missed