संवाददाता.
हेल्थ सिस्टम को लेकर नीतीश सरकार की लगातार फजीहत हो रही है। सरकार चौतरफा घिरी हुई है। चारों ओर से यह कहा जा रहा है कि 15 साल में हेल्थ का दमदार इंफ्रास्ट्रक्चर बनाया ही नहीं गया तो फिर आप किसी भी आईएएस को हेल्थ सेक्रेटरी बना दें इससे कोई बड़ा फर्क नहीं हो पाएगा। आरजेडी नेता और पूर्व सांसद शिवानंद तिवारी ने कहा कि नीतीश कुमार की सरकार 2005 के नवंबर में बनी थी। शुरुआती तीन वर्ष सरकार के लिए स्वर्णिम काल थे।
विशेष रूप से स्वास्थ्य सेवा में जबरदस्त बदलाव आया था। मैंने खुद देखा था कि हमारे यहां के प्रखंड मुख्यालयों में निजी प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों की प्रैक्टिस बंद हो गई थी। सरकारी अस्पताल इतना बेहतर ढंग से काम कर रहे थे कि लोगों को बाहर वाले डॉक्टरों के यहां जाने की जरूरत नहीं रह गई थी।
अचानक पता नहीं क्या वजह थी कि नीतीश कुमार ने 2008 के अप्रैल महीने में अपने मंत्रिमंडल में हेरफेर किया और तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री चंद्रमोहन राय मंत्रिमंडल से बाहर कर दिए गए। राय जी का मंत्रिमंडल से हटना मेरे लिए आश्चर्यजनक था। वैसे चंद्र मोहन राय से मेरा कोई व्यक्तिगत लगाव नहीं था। विधानसभा में उनको देखा था भद्रा व्यक्ति थे। सीनियर थे। इस लिहाज से उनकी मैं इज्जत करता था। अगले दिन सुबह एक अणे मार्ग पहुंचा। नीतीश अकेले थे। मैंने उनसे पूछा कि राय जी को मंत्रिमंडल से बाहर क्यों कर दिया गया? स्वास्थ्य विभाग में इतना बढ़िया काम हो रहा था। इसका संदेश अच्छा नहीं जाएगा। नीतीश जी ने एक क्षण बहुत गहरी नजर से मुझे देखा और अपनी तर्जनी अपने छाती पर रख कर कहा कि जो कुछ होता है वह यहां से होता है। आप भी बतिया रहे हैं कि राय जी बहुत अच्छा काम कर रहे थे!
शिवानंद तिवारी आगे बताते हैं कि अब इसके बाद आगे कुछ कहने की मेरे लिए जगह कहां बची थी! स्मरण कीजिए कि उसके बाद नितीश सरकार की चमक धीरे धीरे धुंधली पड़ने लगी और सरकार का स्खलन होना शुरू हो गया था। राय जी को मंत्रिमंडल से हटाने के मामले में नीतीश अकेले नहीं थे, बल्कि सुशील मोदी के समर्थन से ही वे मंत्रिमंडल से बाहर किए गए थे। स्वास्थ्य विभाग का या सरकार का जो पतन दिखाई दे रहा है वह अचानक ऐसा नहीं हो गया है, बल्कि इसकी शुरुआत तो 2008 में ही हो गई थी और आज तो यह गर्त में पहुंच चुका है।

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