सबसे खास बातें

  • दिव्यांग, महिला, असाध्य रोगों से पीड़ित शिक्षकों को ट्रांसफर में प्राथमिकता मिलेगी।
  • शिक्षक दंपत्ति को एक ही स्कूल में नियुक्ति की सुविधा मिलेगी।
  • 40 साल से कम उम्र के पुरुष शिक्षकों की दूर-दराज के इलाकों में पोस्टिंग होगी।
  • जिन शिक्षकों के आश्रित किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं या लाचार हैं, उन्हें भी ट्रांसफर चॉइस में प्राथमिकता दी जाएगी।

संवाददाता. पटना

बिहार के शिक्षकों के लिए अच्छी खबर है। नीतीश सरकार ने वर्षों से इंतजार कर रहे शिक्षकों के दशहरा का तोहफा दिया है। शिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने सोमवार को प्रेस कांफ्रेस कर कहा कि शिक्षकों की कठिनाईयों को देखते हुए हमलोगों ने नई नीति बनाई है।

नई नीति में कहा गया है कि यह नीति स्थानीय निकायों द्वारा नियुक्त शिक्षकों पर लागू नहीं होगी। स्थानंतरण के इच्छुक शिक्षकों को ऑनलाइन के जरिए आवेदन देना होगा। सभी स्थानांतरण के आवेदन पत्र ई- शिक्षा कोष के माध्यम से ऑनलाइन प्राप्त किए जाएंगे। शिक्षा विभाग की नीति में कहा गया है कि शिक्षकों का प्रत्येक पांच वर्ष पर स्थानांतरण किया जाएगा।

स्थानांतरण-पदस्थापन नीति के अनुसार अगर कोई शिक्षक कैंसर या किडनी, हृदय रोग से पीड़ित है, जिससे स्वयं पति-पत्नी एवं बच्चे प्रभावित हो रहे हैं तो उन्हें स्वयं के गृह पंचायत, नगर निकाय या पत्नी के गृह पंचायत, नगर निकाय में पदस्थापित किया जा सकता है। विद्यालयों में वेतनमान में नियुक्त शिक्षक, स्थानीय निकाय द्वारा नियुक्त शिक्षक, सक्षमता परीक्षा उत्तीर्ण विशिष्ट शिक्षक और बीपीएससी से नियुक्त शिक्षक हैं। ऐसी स्थिति में शिक्षकों का अनुपात विद्यालय स्तर पर या जिला स्तर पर क्रमशः 10, 30,30 और 30% सुनिश्चित हो सके, इसका स्थानांतरण और पदस्थापना के समय ध्यान रखा जाएगा। स्थानांतरण-पदस्थापन ऑर्डर ऑफ परफॉर्मेंस के आधार पर किया जाएगा। किसी विद्यालय विशेष में महिला शिक्षकों के पदस्थापन-स्थानांतरण की सीमा 70% होगी। प्रत्येक शहरी निकाय को एक इकाई मानकर स्थानांतरण किया जाएगा। शिक्षकों को उनके सेवा काल के प्रत्येक 5 वर्ष पर स्थानांतरण अनिवार्य होगा। दिव्यांग या बीमार शिक्षकों को उनके आवेदन पर विचार करते हुए 5 वर्ष से पहले भी स्थानांतरण किया जा सकता है।

नई नीति के अनुसार शिक्षकों से स्थानांतरण- पदस्थापन का विकल्प मांगा जाएगा। शिक्षकों को 10 विकल्प देने के अवसर होंगे। उन्हें निकटतम अनुमंडल या निकटतम जिला में पदस्थापित किया जा सकता है। किसी भी तरह का स्थानांतरण-पदस्थापन या प्रतिनियुक्ति की कार्रवाई सॉफ्टवेयर आधारित एप्लीकेशन के माध्यम से ही की जाएगी। रिक्ति की गणना शिक्षा का अधिकार अधिनियम, छात्र शिक्षक अनुपात, आधारभूत संरचना उपलब्धता के आधार पर होगी। प्रथम चरण में सभी प्रकार के शिक्षकों (स्थानीय निकाय के शिक्षकों को छोड़कर) का स्थानांतरण और पदस्थापना मुख्यालय स्तर से किया जाएगा। नियमित शिक्षक, बीपीएससी और टीआरआई-1,2 के शिक्षक द्वारा स्थानांतरण पदस्थापन के लिए विकल्प नहीं देने पर उनके स्थानांतरण पर विचार नहीं किया जाएगा। यानी अपने पदस्थापित विद्यालय में ही बने रहेंगे . प्रथम चरण के इस स्थानांतरण-पदस्थापन की कार्रवाई में सक्षमता उत्तीर्ण शिक्षक और बीपीएससी शिक्षकों के लिए राज्य स्तरीय वरीयता के आधार पर अवसर मिलेंगे।

जिला के अंदर स्थानांतरण-पदस्थापन की कार्रवाई के लिए शिक्षा विभाग ने जिला स्थापना समिति का गठन करने का निर्णय लिया है। इसके अध्यक्ष जिलाधिकारी होंगे। वहीं उप विकास आयुक्त सदस्य, जिला शिक्षा पदाधिकारी सदस्य सचिव, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना सदस्य, जिला पदाधिकारी द्वारा अनुसूचित जाति-जनजाति से मनोनीत एक पदाधिकारी सदस्य होंगे। महिला वरीय उपसमाहर्ता सदस्य , जिला पदाधिकारी द्वारा मनोनीत एक अल्पसंख्यक पदाधिकारी सदस्य होंगे। प्रमंडल के अंदर अंतर जिला स्थानांतरण समिति का गठन किया जाएगा, जिसमें प्रमंडलीय आयुक्त अध्यक्ष होंगे। राज्य स्तर पर स्थानांतरण के लिए भी समिति का गठित की जाएगी। इसमें शिक्षा विभाग के सचिव अध्यक्ष होंगे और प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा के निदेशक सदस्य होंगे।

ट्रांसफर में इस तरह से प्राथमिकता दी जाएगी

  • दिव्यांग, महिला, असाध्य रोगों से पीड़ित शिक्षकों को ट्रांसफर में प्राथमिकता मिलेगी।
  • शिक्षक दंपत्ति को एक ही स्कूल में नियुक्ति की सुविधा मिलेगी।
  • 40 साल से कम उम्र के पुरुष शिक्षकों की दूर-दराज के इलाकों में पोस्टिंग होगी।
  • जिन शिक्षकों के आश्रित किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं या लाचार हैं, उन्हें भी ट्रांसफर चॉइस में प्राथमिकता दी जाएगी।

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