- पटना के बापू सभागार में जन सुराज की ओर से कर्पूरी ठाकुर के जन्म शताब्दी वर्ष पर अतिपिछड़ा सम्मेलन का आयोजन
- पीके ने कहा- विधा्न सभा चुनाव में 75 उम्मीदवार अतिपिछड़ा से उतारेंगे
जन सुराज के प्रशांत किशोर लोकसभा चुनाव से पहले अपनी पार्टी नहीं बना रहे हैं, लेकिन एमएलसी चुनाव की तरह ही लोकसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी उतारेंगे। प्रशांत किशोर ने कहा कि पूरे बिहार में पदयात्रा कर लेने के बाद ही वे पार्टी बनाने बनाएंगे। प्रशांत किशोर जन सुराज की ओर से बापू सभागार में आयोजित जननायक कर्पूरी ठाकुर शताब्दी सह अतिपिछड़ा सम्मेलन में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव में वे 75 उम्मीदवार अतिपिछड़ी जाति से देंगे। उन्होंने चुनौती देते हुए कहा कि किसी दल में इतनी हिम्मत है तो घोषणा करें। हमारी परिकल्पना है कि समाज में जिसकी जितनी आबादी है उस अनुसार दल बनाया जाए। जब चुनाव लड़ने की बारी हो तो जिसकी जितनी संख्या है उसको उतनी भागीदारी मिले। पिछड़ा-अगड़ा में मेरा यकीन नहीं है। हम सिर्फ 75 टिकट ही नहीं देंगे, बल्कि उनका चयन करेंगे, प्रशिक्षित करेंगे और जनसुराज के संसाधन से चुनाव लड़ाएंगे।
प्रशांत ने भविष्यवाणी की कि नीतीश कुमार अगर गठबंधन इंडिया के साथ लोकसभा का चुनाव लड़ते हैं तो उनकी पार्टी जेडीयू को पांच सीटें भी हासिल नहीं हो पाएगी। पांच सीटें आ जाएंगी तो बिहार की जनता के सामने खड़े होकर अपनी गलती के लिए माफी मांगूंगा।
मीडिया ने पीके से जब पूछा कि तेजस्वी यादव, सीएम मेटेरियल हैं क्या? इस सवाल पर प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार में महागठबंधन की सरकार है और सबसे बड़ी पार्टी इसमें राजद है। नीतीश कुमार ने भी कह दिया है कि अगला चुनाव तेजस्वी के नेतृत्व में लड़ेंगे। मेरा सुझाव यह है कि तेजस्वी यादव को महागठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री बनाया जाए। जनता को भी देखने का अवसर मिल सके कि कैसे सरकार चलाते हैं तेजस्वी।
क्या नीतीश कुमार फिर से पलटी मारेंगे और भाजपा के साथ जाएंगे? इस सवाल पर पीके ने कहा कि नीतीश कुमार के करियर का अंतिम दौर चल रहा है। वे महागठबंधन में रहें या एनडीए में, नीतीश जिसके साथ जाएंगे खुद तो डूबेंगे ही, उस गठबंधन को भी डुबाएंगे। बीजेपी को दम है तो नीतीश कुमार को चेहरा बनाकर चुनाव लड़ लें, बीजेपी की खटिया खड़ी हो जाएगी।
क्या निजी क्षेत्रों में आरक्षण होना चाहिए? इस सवाल को प्रशांत टाल गए। उन्होंने कहा कि शिक्षा, पूंजी और स्वरोजगार देना होगा। वंचित समाज की स्थिति वही है जो 30 साल पहले थी। लालू प्रसाद और नीतीश कुमार ही तो 30 वर्षों से सत्ता संसाधन पर हैं। नीतीश कुमार या लालू प्रसाद को कौन रोक रहा है कि अतिपिछड़ा समाज से किसी को बिहार का उपमुख्यमंत्री बनाएं। अतिपिछड़ा समाज से पथ निर्माण, शिक्षा, स्वास्थ्य मंत्री बनाएं। ये सारे विभाग नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव खुद लेकर बैठे हैं और कहते हैं कि अतिपिछड़ों का कल्याण करेंगे!
इस अवसर पर प्रों शिवजतन ठाकुर ने कहा कि अतिपिछड़ों की 36 फीसदी आबादी को चुनाव के बाद ठुकरा दिया गया। कर्पूरी ठाकुर को उनके जन्म शताब्दी वर्ष में भारत रत्न देने का प्रस्ताव पास करें।