कॉलम- जनता मालिक
एक पोस्ट दिखा आज फेस बुक पर। नीरज सिंह ने पोस्ट किया है। उन्होंने पोस्ट में बताया है कि बिहार के सबसे बड़े अस्पतालों में एक पीएमसीएच की सफाई व्यवस्था कैसी है। न्यू भारत मिशन के अध्यक्ष पंकज जी की पत्नी वहां एक सप्ताह से भर्ती है। पंकज जी सोशल एक्टिविस्ट हैं । पोस्ट में बताया गया है कि अस्पताल के शौचालय की सफाई की स्थिति इतनी खराब है कि प्रशासन से कई बार कहने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद पंकज, अशोक प्रियदर्शी, प्रियदर्शी प्रियम, सुमंत और नीरज सिंह ने सुबह आठ बजे सफाई का बीड़ा उठाया। हाथोें में ब्रश, एसिड, फिऩाइल, रबर के दस्तानों के साथ पीएमसीएच के शौचालय की सफाई शुरू कर दी। कुछ देर के पीएमसीएच प्रशासन की नींद टूटी और सफाईकर्मी भेजे गए। लेकिन तब तक इन सबों ने सफाई कर दी।
बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय जी यह एक पोस्ट नहीं है बल्कि आपके राज्य बिहार के सबसे बड़े नामी रह चुके मेडिकल क़ॉलेज अस्पताल की ताजा स्थिति है। कहां पहुंचा दिया है आपके सिस्टम ने इस अस्पताल को। वह कोरोना के काल में ऐसा भयावहता। शौचालय की सफाई कोई आम पब्लिक भी करता है तो बुरा नहीं है। लेकिन सवाल यह है कि इस पर खर्च होने वाली जनता की लाखों रुपए की राशि कहां जा रही है? और इसको मॉनिटरिंग करने वाला तंत्र क्या कर रहा है ? इस पर भी लाखों खर्च हो रहे हैं।
लोग अस्पताल में इलाज कराने आएं और साथ में हारपिक लेकर आएं, शौचालय साफ करने वाला ब्रश लेकर आएं- यह विज्ञापन क्यों नहीं अखबारों में आप छपवा देते हैं स्वास्थ्य मंत्री महोदय। पटना के बड़े अस्पतालों चाहे वह पीएमसीएच हो, एनएमसीएच हो या आईजीआईएमएस सब की कमोबेश यही स्थिति है। गंदगी ऐसी ही हमेशा इंफेक्शन का खतरा आपको लगेगा। पीएमसीएच तो इसमें अव्वल है। सोचिए यह कितनी शर्म की बात है कि मरीज के परिजनों को शौचालय की सफाई खुद से करनी पड़े। कोई कड़क मुख्यमंत्री होता तो इस पर एक्शन लेता, पर यहां किसके उम्मीद कीजिएगा। गठबंधन की शर्तें ही होती हैं तुम मेरा छुपाओ, मैं तेरा छुपाता हूं। और इस तरह हम दोनों मजे में चलते हैं। यहां गठबंधन की या राजनीति की कोई बात नहीं है, बात है लोक लाज की। आप जब- तब औचक निरीक्षण करते रहते और सिस्टम पर लगाम लगा कर रखते तो शायद यह स्थिति नहीं दिखती। लेकिन आपकी प्राथमिकता कुछ और है। एक मंत्री के रुप में आपको यह सब जानकर कैसा लग रहा होगा पता नहीं लेकिन स्वास्थ्य विभाग की इससे नकारा स्थिति कुछ नहीं हो सकती। आपका सिस्टम फेल है। आपका सिस्टम रेंग रहा है। बदबू दे रहा है आपका सिस्टम। अब तो संभालिए! अब तो संभलिए!
- पहरेदार