• गणेश चतुर्थी के अवसर पर सांस्कृतिक कार्यकम

संवाददाता.

गणेश चतुर्थी के पावन अवसर पर लोकगायिका नीतू कुमारी नवगीत ने सोशल मीडिया पेज पर ऑनलाइन सांस्कृतिक कार्यक्रम में भगवान गणेश के अनेक भजनों की प्रस्तुति करके श्रोताओं के मन को मोहित किया । कार्यक्रम के दौरान नीतू कुमारी नवगीत ने मंगल के दाता रउआ, बिगड़ी बनाइ जी गौरी के ललना हमरा अंगना में आई जी, प्रथम पूज्य देव ह तू गौरी के ललनवा और घर में पधारो गजानन जी मेरे घर में पधारो सहित लोकगीतों की प्रस्तुति करके भगवान गणेश की वंदना की । कार्यक्रम के दौरान लोक गायिका नीतू नवगीत ने कहा कि भगवान श्री गणेश सनातन धार्मिक परंपरा के प्रथम पूज्य देव हैं । किसी भी प्रकार की पूजा हो या किसी भी देवता की पूजा हो, प्रथम पूजा भगवान गणेश की ही की जाती है । प्रत्येक महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी व्रत करने का विधान है, लेकिन भादो मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी का विशेष महत्व है क्योंकि भगवान गणेश का जन्म इसी दिन हुआ था । पौराणिक मान्यताओं के अनुसार स्नान करने के लिए जाने से पूर्व माता गौरी ने अपने शरीर के मैल से गणेश जी को बनाया और फिर उन्हें द्वार पर इस निर्देश के साथ पहरा देने के लिए लगा दिया कि जब तक वह स्नान करके वापस नहीं आ जाती, किसी को भी घर में प्रवेश न करने दिया जाए । लेकिन इसी बीच भगवान शंकर वहां पहुंच गए और उन्होंने घर में प्रवेश करने का प्रयास किया किंतु गणेश जी द्वारा उन्हें मार्ग नहीं दिया गया । भगवान शंकर ने स्पष्ट किया कि यह उनका घर है और इसलिए उन्हें घर में प्रवेश करने दिया जाए । परंतु माता का आदेश मानने की अपनी प्रतिबद्धता के कारण गणेश जी ने शंकर भगवान को घर में प्रवेश नहीं करने दिया जिससे कुपित होकर भगवान शंकर ने गणेश जी का सर काट लिया । स्नान करने के उपरांत जब माता पार्वती द्वार पर आईं तो उन्होंने गणेश जी की दुर्दशा देखी और भगवान शंकर पर बहुत क्रोधित हुईं । साथ ही किसी भी कीमत पर गणेश जी को जिंदा करने का अनुरोध किया । तब भगवान शंकर ने पृथ्वी से प्रथम जीव के सिर को लाने का आदेश बसहा बैल और अपने गणों को दिया । इन सब ने मिलकर एक हाथी के बच्चे का सिर काट कर भगवान शंकर को दिया जिसे गणेश जी के शरीर पर लगा दिया गया और इस तरह भगवान गणेश गजानन बन गए ।

लोक गीतों की प्रस्तुति के दौरान नीतू नवगीत ने कहा कि भगवान गणेश बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता हैं । वह विघ्नहर्ता और मंगलकर्ता हैं । उनका नाम लेकर ही सारे अच्छे कार्य प्रारंभ किए जाते हैं । हिंदू धर्म के इस प्रथम पूज्य देव को लोकगीतों में विशेष महत्व दिया गया है ।
कवियों और लेखकों ने भगवान गणेश की वंदना में सैकड़ों पन्ने रंगे हैं । गणेश जी की आरती जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा माता गौरा पार्वती पिता महादेवा हर हिंदू धर्मावलंबी के घर में गाया जाता है । श्री गणेश जी का महामंत्र का जाप हर अच्छे अवसरों की शुरुआत में किया जाता है-
वक्रतुंड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ।।
इसका अर्थ है कि घुमावदार सूढ़ वाले, विशाल शरीरकाय, करोड़ों सूर्य के समान महान प्रतिभाशाली, मेरे प्रभु हमेशा मेरे सारे कार्य बिना विघ्न के पूर्ण करें । रिद्धि और सिद्धि गणेश जी की दो पत्नियां हैं और शुभ एवं लाभ इनके दो बेटे हैं । जहां गणेश जी का वास होता है वहां पर ये चारों भी आ जाते हैं । कार्यक्रम में रविंद्र कुमार मिश्रा रवीश ने तबला पर संगत किया ।

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