संवाददाता.

डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने ट्वीट कर कहा है कि लालू प्रसाद को वे दिन याद आ रहे हैं, जब न स्कूल में पढाई होती थी, न अस्पताल में दवाई मिलती थी, परंतु, उनके आवास पर नाच भी होता था और कुर्ता फाड़ होली भी होती थी। बिहार की सड़कें जर्जर थीं, लेकिन अलकतरा घोटाला करने वाले आलीशान मकान में रहते थे।

आज बिहार चरवाहा विद्यालय के दौर से आगे निकल कर युवाओं को आइआइआइटी, निफ्ट, चंद्रगुप्त प्रबंधन संस्थान , नेशनल ला यूनिवर्सिटी उपलब्ध करा रहा है। महासेतु और फोरलेन सड़कों का संजाल विकसित हो रहा है। गरीब के घर-शौचालय, उज्ज्वला गैस, किसान को सालाना छह हजार की सम्मान राशि और लड़कियों को कन्या समृद्धि योजना के लाभ मिल रहे हैं। गांव बिजली से रोशन हैं। बिहार छप्पर-फूस- लालटेन वाली बदहाली से बाहर आ गया, लेकिन लालू प्रसाद पुराने मुहावरों में अटके हैं।

उपमुख्यमंत्री ने कहा है कि वैश्विक महामारी कोरोना से निबटने के लिए बिहार में जितने काम हुए, उतना कई अन्य राज्यों में नहीं हुआ। कोविड जांच कोई सामान्य खून-पेशाब जांच नहीं है। जहां पहले केवल आरएमआरआइ, एम्स जैसे चंद संस्थानों में सीमित संख्या में कोविड जांच होती थी, वहां मात्र तीन महीने में 13 अगस्त 2020 को एक दिन में एक लाख से ज्यादा सैंपल जांच का रिकॉर्ड बना।

अब तक 13.77 लाख जांच हो चुकी है। 15 लाख 50 हजार ऐंटीजन टेस्ट की खरीद और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तक कोरोना जांच की सुविधा उपलब्ध कराने से लोगों के संक्रमित होने की दर घट कर मात्र चार फीसदी रह गई। राज्य में स्वस्थ होने की दर बढ़ कर 66.1 फीसदी तक पहुंची। पीड़ित मानवता की सेवा में एनडीए सरकार का समर्पण लोग महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में कोरोना से मरनेवालों की संख्या 20 हजार पहुंच रही है और राजस्थान में मृतकों की संख्या बिहार से दोगुना ज्यादा है। महाराष्ट्र सरकार बिहार के मेधावी बेटे सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु का मामला दबाने में लगी है और राजस्थान सरकार अपने अंतर्कलह को दबाने में।

 

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