संवाददाता.
बिहार के यूनिवर्सिटीज एवं उनके अधीनस्थ अंगीभूत कॉलेजों में एक सितंबर, 2005 के बाद नियुक्त कर्मचारियों के लिए अच्छी खबर है कि अब उनका अंशदान निश्चित नियमों के तहत कटेगा और जमा होगा। नई अंशदायी पेंशन योजना (एनपीएस) को लागू करने के लिए बने परिनियम को कुलाधिपति-सह-राज्यपाल फागू चौहान ने शुक्रवार को मंजूरी दी।
इसके अनुसार कर्मियों के मासिक वेतन से मूल वेतन एवं महंगाई भत्ते के योग की 10 फीसदी राशि अंशदान के रूप में काटेगी और उतनी ही राशि नियोक्ता के द्वारा अंशदान के रूप में जमा की जाएगी। इस योजना के तहत पंजीकरण, फंड ट्रांसफर और रिकॉर्ड के रख-रखाव की प्रक्रिया वही होगी, जो राज्य सरकार की तरफ से निर्धारित है। शिक्षा विभाग ने इस पर पहले ही मुहर लगा चुका है। इस पेंशन योजना से पहले इन कर्मचारियों का अंशदान तो कटता था, लेकिन संस्थानों की तरफ से उनकी कोई हिस्सेदारी साझा नहीं की जाती थी। कई शैक्षणिक संस्थाओं में तो कर्मचारियों के इपीएफ खाते में अंशदान डाला ही नहीं जाता था। सच कहें तो पेंशन अंशदान कटने का कोई स्पष्ट परिनियम नहीं था राज्यपाल सचिवालय से शुक्रवार को जारी अधिसूचना के अनुसार एक सितंबर 2005 से या उसके बाद योगदान करनेवाले किसी भी कर्मचारी का अंशदान यदि सामान्य भविष्य निधि में किया गया है, तो नेशनल सिक्योरिटिज डिपॉजिटरी लिमिटेड सेंट्रल रिकॉर्ड कीपिंग एजेंसी में रजिस्ट्रेशन के बाद अंशदान राशि में ब्याज सहित पैसे नई अंशदायी पेंशन योजना के नियम के अनुसार जुट जाएंगे। एनपीएस योजना के तहत कटौती अगले माह सितंबर से शुरु हो जाएगी।

इन्हें मिलेगा लाभ
पेंशन संबंधी नये परिनियम के लागू होने से एक सितंबर 2005 या उसके बाद नियुक्त सभी विवि एवं उनके अधीनस्थ अंगीभूत कॉलेजों के नियमित अध्यापकों, अधिकारियों एवं सभी कर्मियों को नई अंशदायी पेंशन योजना का लाभ मिलेगा।

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