- माँ मनोकामना मंदिर में मनाया गया महात्मा सुशील का अवतरण दिवस समारोह
- देवी की प्राण-प्रतिष्ठा का भी वार्षिकोत्सव
संवाददाता. साकेत (नई दिल्ली)
भक्ति के मार्ग में, अहंकार, ईर्ष्या द्वेष, भेद-बुद्धि और लोभ बड़ी बाधाएं हैं। बाधाएं देवताओं की ओर से भी आती हैं। वे नहीं चाहते हैं कि मनुष्य आध्यात्मिक स्तर पर आगे बढ़ें ! संसार में अनेक प्रलोभन हैं! मनुष्य अपनी जवानी उसी में व्यतीत कर देता है। साधक को अपने मन पर विजय प्राप्त कर, इन बाधाओं से मुक्ति प्राप्त करनी चाहिए ! इस्सयोग मन पर विजय प्राप्त करने का मार्ग है। महात्मा सुशील कुमार जी का विश्व मानवता को दिया जाने वाला यह महान अवदान है।
ये बातें पर्यावरण कॉम्प्लेक्स स्थित मां मनोकामना मंदिर में, अंतर्राष्ट्रीय इस्सयोग समाज द्वारा आयोजित सद्गुरू अवतरण दिवस-सह-माँ मनोकामना देवी प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में अपना आशीर्वचन देती हुईं, संस्था की अध्यक्ष एवं ब्रह्मनिष्ठ सद्गुरूमाता माँ विजया ने कहीं। कहा कि सद्गुरुदेव ने त्रितापों से ग्रस्त संसार के मनुष्यों के लिए यह एक दिव्य और सरल पद्धति प्रदान की है, जिससे ब्रह्म प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। उन्होंने कहा कि भक्तों की लौकिक मनोकामनाएं भी पूर्ण हो, इसलिए सद्गुरुदेव ने यहाँ माँ मनोकामना की पिण्डियों की स्थापना की।
समारोह का शुभारंभ पूर्वाह्न 11 बजे ओमकारम के साथ हुआ। संस्था के सचिव कुमार सहाय वर्मा ने दीप प्रज्वलन और संदीप गुप्ता ने सद्गुरु-गुरुमाँ के चित्रों पर माल्यार्पण किया। इसके बाद आह्वान की साधना की गई और एक घंटे का अखण्ड संकीर्तन किया गया।
संकीर्तन के बाद माताजी ने मंत्रों के साथ माँ मनोकामा देवी की पूजा करायी, जिसे वरिष्ठ साधिका वंदना वर्मा और अन्य सेवादारों ने सपन्न किया। इस अवसर पर अमेरिका से आए इसयोगी डॉ. मनोज राज, कनाडा से आए मनीष मिश्रा, इंग्लैंड से आईं मोनी भट्ट, फ्रांस से आए राम जनक, लंदन से आए दैविक बैंकानी, दिल्ली से दीनानाथ शास्त्री, गुरुग्राम से छोटे भैया संदीप गुप्ता एवं पटना से डा अनिल सुलभ ने अपने उद्गार व्यक्त करते हुए महात्मा जी के आध्यात्मिक अवदानों की चर्चा की।
आयोजन में शक्तिपात-दीक्षा का भी आयोजन किया गया, जिसमें सद्गुरु माँ ने ६७ नव-जिज्ञासुओं को इस्सयोग की आंतरिक साधना आरम्भ करने के लिए आवश्यक दीक्षा प्रदान की ।
इस अवसर पर संस्था के संयुक्त सचिव ई उमेश कुमार, बहन संगीता झा, लक्ष्मी प्रसाद साहू, शिवम झा, काव्य सिंह, डा द्राशनिका पटेल, डा गोविन्द बैंकानी, योगेन्द्र प्रसाद, मालिनी विजय मिश्रा, सी एल प्रसाद, राधेश्याम पांडेय समेत बड़ी संख्या में साधकगण उपस्थित थे ।
