संवाददाता. पटना

मुजफ्फरपुर की रहने वाली 10 वर्षीया नाबालिग महादलित बच्ची की दुष्कर्म के बाद मौत के मामले पर विपक्ष के आरोपों के बीच बिहार सरकार ने मंगलवार को कार्रवाई करते हुए पीएमसीएच के प्रभारी उपाधीक्षक डॉ. अभिजीत सिंह को पद से हटा दिया। डॉ. अभिजीत पर दुष्कर्म पीड़िता नाबालिग के इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगा है।

 रेफरल पॉलिसी का पालन नहीं करने के लिए मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच की अधीक्षक डॉ. कुमारी विभा को सस्पेंड कर दिया गया है। स्वास्थ्य विभाग की विशेष कार्य पदाधिकारी रेणु कुमारी ने आदेश जारी किया है। निलंबन के दौरान डॉ. कुमारी विभा स्वास्थ्य विभाग के मुख्यालय में योगदान देंगी। बिहार सरकार ने जांच के लिए हाई लेवल कमेटी बनाई है। कमेटी इलाज में लापरवाही के आरोपों की जांच करेगी।

स्वास्थ्य विभाग के 3 निदेशक करेंगे जांच

बिहार सरकार ने जो जांच कमेटी बनाई है उसमें स्वास्थ्य विभाग के तीन निदेशक प्रमुख राम नारायण चौधरी, विनोद सिंह और प्रमोद कुमार शामिल हैं। जांच कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार दोषी डॉक्टरों और पदाधिकारियों पर कार्रवाई की अनुशंसा की जाएगी। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने घटना पर जागरुकता दिखाई है और मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी कर दो हफ्ते में मामले पर जवाब मांगा है।

बता दें पीएमसीएच में समय से इलाज नहीं होने का आरोप कांग्रेस ने लगाया था। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम अन्य नेताओं के साथ पीएमसीएच पहुंचे थे। मंगलवार को आरजेडी महिला प्रकोष्ठ की ओर से राष्ट्रीय जनता दल महिला प्रकोष्ठ की ओर से आक्रोश मार्च निकाला और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का पुतला दहन किया। इस आक्रोश मार्च और पुतला दहन कार्यक्रम का नेतृत्व महिला प्रकोष्ठ की प्रदेश अध्यक्ष रितु जायसवाल ने की।
आक्रोश मार्च राष्ट्रीय जनता के राज्य कार्यालय से इनकम टैक्स गोलंबर तक गया। इसमें स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डेय के इस्तीफा की मांग और बिहार सरकार से महिलाओं और बच्चियों के साथ हो रहे बलात्कार और व्यभिचार की घटना की जिम्मेदारी लेते हुए सरकार से इस्तीफा की मांग की गई। आक्रोश मार्च आयकर गोलम्बर पर पहुंचा जहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का पुतला दहन किया गया।

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