संवाददाता.
साहित्यिक पत्रिकाएं विचारों और भावों की अभिव्यक्ति की वाहिका ही नहीं होती, नवोदित साहित्यकारों के परिष्कार की पाठशाला भी होती हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत में साहित्यिक पत्रिकाओं की आयु बहुत ही कम रही है। ऐसी पत्रिकाओं को आर्थिक संबल नही मिलता। ऐसे में साहित्यिक त्रैमासिक ‘साहित्य–यात्रा‘ की अविराम यात्रा, जो विगत 6 वर्षों से जारी है, देखकर मन को परितोष और प्रसन्नता होती है। यह पत्रिका संपूर्ण भारत वर्ष में ख्याति और उपलब्धि प्राप्त कर रही है। इसके लिए पत्रिका के संपादक सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. कलानाथ मिश्र का कार्य स्तुत्य माना जाना चाहिए।
यह बातें, बुधवार को, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में, ‘साहित्य –यात्रा‘ के ‘आचार्य शिवपूजन सहाय स्मृति विशेषांक‘ का लोकार्पण करते हुए, सम्मेलन अध्यक्ष डॉ. अनिल सुलभ ने कही। डॉ. सुलभ ने कहा कि आचारु शिवपूजन सहाय एक ऐसे साहित्यर्षि थे, जिन्होंने दधीचि की भाँति हिन्दी के लिए अपनी अस्थियां ही नहीं मेद और मज्जा का भी दान कर दिया। वे संपादन–कला के अप्रतिम आदर्श थे।
डॉ. सुलभ ने पत्रिका के संपादक डा कलानाथ मिश्र को सम्मेलन की ओर से ‘आचार्य नलिन विलोचन शर्मा स्मृति सम्मान‘ से विभूषित किया।
पत्रिका के संपादक डॉ. कलानाथ मिश्र ने कहा कि, आज तकनीकी विकास के कारण प्रकाशन कार्य सरल हो गया है, किंतु रचनाओं का स्तर गिरा है। अब रचनाकारों की साधना में चिंताजनक कमी दिखाई देती है। उन्होंने कहा कि हिन्दी को यथा शीघ्र ‘ज्ञान की भाषा‘ बनाने की दिशा में चेष्टा की जानी चाहिए। इस दिशा में रचनाकारों को आगे बढ़ कर यत्न करना चाहिए। हमारी चेष्टा है कि पत्रिका का स्वरूप राष्ट्रीय हो।
इसके पूर्व अतिथियों का स्वागत करते हुए, सम्मेलन के उपाध्यक्ष डॉ. शंकर प्रसाद ने कहा कि, यों तो ‘साहित्य यात्रा‘ का प्रत्येक अंक संग्रहणीय रहा है किंतु पत्रिका लोकार्पित अंक और भी मूल्यवान इसलिए हो गया है कि यह हिन्दी के महान साहित्यकार आचार्य शिव पूजन सहाय को समर्पित है। आचार्य सहाय एक विनम्र साहित्य–मूर्ति थे और उनका संपूर्ण जीवन हिन्दी की साधना में व्यतीत हुई।
इस अवसर पर, वरिष्ठ पत्रकार और साहित्य–सेवी डा ध्रुब कुमार, कुमार अनुपम, कवि राज कुमार प्रेमी, डा अर्चना त्रिपाठी, डा ओम् प्रकाश जमुआर, डा विनय कुमार विष्णुपुरी, चंदा मिश्र, पत्रिका के सहायक संपादक अमित कुमार मिश्र , जनार्दन पाटिल, डा नागेशवर प्रसाद यादव, रामाशीष ठाकुर, डा अंजु कुमारी, राजेश दयाल, नरेंद्र कुमार झा, अजय कुमार सिंह, डा कृष्ण अनुराग, डा आशा कुमारी, अमित कुमार सिंह, प्रणब समाजदार आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए। मंच का संचालन योगेन्द्र प्रसाद मिश्र ने तथा धन्यवाद ज्ञापन कृष्ण रंजन सिंह ने किया ।